कई लोग मोतियाबिंद सर्जरी के लिए सर्दियों के मौसम का चुनाव करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि इस मौसम में सर्जरी कराने से ठीक होने की संभावना ज्यादा होती है.

पुराने समय में यह मान्यता थी की जाड़े का मौसम ही मोतियाबिंद जैसी आंखों की समस्याओं की सर्जरी के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता था जिसके पीछे यह कारण था कि पहले तकनीक उतनी एडवांस नहीं थी और जो भी सर्जरी होती थी उसमें टांके लगते थे जिसकी वजह से पसीना आंखों में जाने से उसमें इंफेक्शन होने का खतरा होता था लेकिन आज टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो गई है कि सर्जरी के बाद किसी भी प्रकार के चीरे या टांके की जरूरत नहीं होती है, इसलिए सर्जरी हर मौसम में कराई जा सकती है इसीलिए किसी भी मौसम के इंतजार में टालें नहीं बल्कि जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर द्वारा बताई गई सर्जरी करा लें.

आंखों की सर्जरी में किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है :

  • आंखों की सर्जरी के लिए किसी अच्छे आईकेयर सेंटर का ही चुनाव करें.
  • सर्जरी डॉक्टर द्वारा बताई गई हर सावधानी का पालन करें.
  • अपनी आंखों को धूप और धुएं से बचाएं.
  • नहाते या चेहरा धोते वक्त इस बात का खास ख्याल रखें की साबुन आंखों में ना जाए.
  • आँखों को ना तो मलें ना ही गंदे हाथो से छुएं .
  • बिना डॉक्टर की सलाह लिए किसी भी प्रकार के आई मेकअप का प्रयोग ना करें.

ये हैं लक्षण

  • बढ़ती उम्र के साथ नजर का कम होते जाना या धुंधलापन बढ़ते जाना।
  • चश्मे का नंबर जल्दी-जल्दी बदलना।
  • दिन के समय कम दिखना व रात या अंधेरे में अधिक दिखना।
  • एक ही वस्तु कई – कई दिखाई देना।

ये हैं कारण

  • वृद्धावस्था : ये मोतियाबिंद सबसे अधिक पाया जाता है। प्राय: 50 साल की उम्र के बाद प्राकृतिक लेंस में धुंधलापन आने लगता है और व्यक्ति को धीरे-धीरे उम्र के साथ-साथ नजर कम पड़ने लगती है।
  • चोट के कारण : आंख में चोट लगने के कारण लेंस धुंधला होने लगता है और मोतियाबिंद हो जाता है।
  • मेटाबोलिक मोतिया: इस प्रकार का मोतिया कुछ शारीरिक बीमारियों के कारण हो जाता है, जैसे मधुमेह और कैल्शियम या फास्फोरस की अधिकता हो जाना।
  • पैदायशी मोतिया: यदि किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान रूबेला संक्रमण जैसी बीमारियों हो जाएं तो नवजात शिशु में मोतियाबिंद होने की आशंका रहती है।
  • डेवलपमेंटल कैटरैक्ट: बच्चे के पैदा होने से लेकर युवावस्था तक इस प्रकार का मोतियाबिंद हो सकता है।

मोतियाबिंद का एकमात्र उपचार ऑपरेशन ही है लेकिन शुरुआती स्टेज में कुछ दवाइयों के प्रयोग से मोतियाबिंद का बढ़ना कुछ कम हो जाता है। जब चश्मे इत्यादि के प्रयोग के बाद भी व्यक्ति की दैनिक दिनचर्या प्रभावित होने लगे तब ऑपरेशन के बारे में सोचना चाहिए। हर मौसम में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया जा सकता है।

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