Lasik eye centre in Indore

क्या सर्दियां आंखों की सर्जरी के लिए सही समय है?

कई लोगो का मानना है की सर्दियों के मौसम में मोतियाबिंद, क्रॉस आईज आदि की सर्जरी के लिए सही समय है उन्हें लगता है कि इस मौसम में सर्जरी कराने से ठीक होने की संभावना ज्यादा होती है! आइये हम जानते है की ये तथ्य कितना सही है डॉ प्रणय सिंह के अनुसार पुराने समय में ठंड का मौसम ही मोतियाबिंद जैसी आंखों की समस्याओं की सर्जरी के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता था जिसके पीछे कारण यह था कि पहले की तकनीक उतनी एडवांस नहीं होती थी और अधिकतर जो भी सर्जरी होती थी उसमें टांके लगते थे, जिसकी वजह से आंखों में पसीना जाने से उसमें इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता था लेकिन आज की एडवांस टेक्नोलॉजी में सर्जरी के बाद किसी भी प्रकार के चीरे या टांके की जरूरत नहीं होती है, इसलिए सर्जरी सिर्फ जाड़े के मौसम में ही कराईजनि चाहिए ये सिर्फ एक मिथ्य है ऐसा हम कह सकते है।”

डॉ प्रणय सिंह के अनुसार यदि आपकी आँखों में कोई भी समस्या है या मोतियाबिन्द है या कोई ऐसी समस्या है जिसके लिए आपको सर्जरी की जरूरत हो तो इसके लिए आपको किसी भी specific मौसम के इंतजार में इसके इलाज को टालें नहीं बल्कि जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर द्वारा बताई गई सर्जरी करा लें क्योकि आपकी आँखों के लिए क्या बेहतर है ये एक eye specialist से बेहतर शयद ही कोई बता सकता है।

आइये अब देखते है की की आंखों की सर्जरी में किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है :

  • आंखों की सर्जरी के लिए किसी अच्छे आईकेयर सेंटर का ही चुनाव करें। (एक्सपीरियंस डॉक्टर का चयन करे)
  • सर्जरी डॉक्टर द्वारा बताई गई हर सावधानी का पालन करें।
  • अपनी आंखों को धूप और धुएं से बचाएं।
  • नहाते या चेहरा धोते वक्त इस बात का खास ख्याल रखें की साबुन आंखों में ना जाए।
  • आँखों को ना तो मलें ना ही गंदे हाथो से छुएं ।
  • बिना डॉक्टर की सलाह लिए किसी भी प्रकार के आई मेकअप का प्रयोग ना करें।

Cataract Surgery in indore

Cataract Surgery in Short and Long Eyes

कई लोग मोतियाबिंद सर्जरी के लिए सर्दियों के मौसम का चुनाव करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि इस मौसम में सर्जरी कराने से ठीक होने की संभावना ज्यादा होती है.

पुराने समय में यह मान्यता थी की जाड़े का मौसम ही मोतियाबिंद जैसी आंखों की समस्याओं की सर्जरी के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता था जिसके पीछे यह कारण था कि पहले तकनीक उतनी एडवांस नहीं थी और जो भी सर्जरी होती थी उसमें टांके लगते थे जिसकी वजह से पसीना आंखों में जाने से उसमें इंफेक्शन होने का खतरा होता था लेकिन आज टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो गई है कि सर्जरी के बाद किसी भी प्रकार के चीरे या टांके की जरूरत नहीं होती है, इसलिए सर्जरी हर मौसम में कराई जा सकती है इसीलिए किसी भी मौसम के इंतजार में टालें नहीं बल्कि जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर द्वारा बताई गई सर्जरी करा लें.

आंखों की सर्जरी में किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है :

  • आंखों की सर्जरी के लिए किसी अच्छे आईकेयर सेंटर का ही चुनाव करें.
  • सर्जरी डॉक्टर द्वारा बताई गई हर सावधानी का पालन करें.
  • अपनी आंखों को धूप और धुएं से बचाएं.
  • नहाते या चेहरा धोते वक्त इस बात का खास ख्याल रखें की साबुन आंखों में ना जाए.
  • आँखों को ना तो मलें ना ही गंदे हाथो से छुएं .
  • बिना डॉक्टर की सलाह लिए किसी भी प्रकार के आई मेकअप का प्रयोग ना करें.

ये हैं लक्षण

  • बढ़ती उम्र के साथ नजर का कम होते जाना या धुंधलापन बढ़ते जाना।
  • चश्मे का नंबर जल्दी-जल्दी बदलना।
  • दिन के समय कम दिखना व रात या अंधेरे में अधिक दिखना।
  • एक ही वस्तु कई – कई दिखाई देना।

ये हैं कारण

  • वृद्धावस्था : ये मोतियाबिंद सबसे अधिक पाया जाता है। प्राय: 50 साल की उम्र के बाद प्राकृतिक लेंस में धुंधलापन आने लगता है और व्यक्ति को धीरे-धीरे उम्र के साथ-साथ नजर कम पड़ने लगती है।
  • चोट के कारण : आंख में चोट लगने के कारण लेंस धुंधला होने लगता है और मोतियाबिंद हो जाता है।
  • मेटाबोलिक मोतिया: इस प्रकार का मोतिया कुछ शारीरिक बीमारियों के कारण हो जाता है, जैसे मधुमेह और कैल्शियम या फास्फोरस की अधिकता हो जाना।
  • पैदायशी मोतिया: यदि किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान रूबेला संक्रमण जैसी बीमारियों हो जाएं तो नवजात शिशु में मोतियाबिंद होने की आशंका रहती है।
  • डेवलपमेंटल कैटरैक्ट: बच्चे के पैदा होने से लेकर युवावस्था तक इस प्रकार का मोतियाबिंद हो सकता है।

मोतियाबिंद का एकमात्र उपचार ऑपरेशन ही है लेकिन शुरुआती स्टेज में कुछ दवाइयों के प्रयोग से मोतियाबिंद का बढ़ना कुछ कम हो जाता है। जब चश्मे इत्यादि के प्रयोग के बाद भी व्यक्ति की दैनिक दिनचर्या प्रभावित होने लगे तब ऑपरेशन के बारे में सोचना चाहिए। हर मौसम में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया जा सकता है।

Cataract doctor in indore

5 Signs you need to visit an Eye-Specialist right now

Everyone needs to treat eye examinations as important as blood pressure checks or visits to the dentist. The common rule of thumb to be followed is annual visits when you are in your twenties and bi-annual visits during your thirties. In your forties and later, customize your visits after consultation from an eye-specialist in Indore. However, here we have listed 5 signs which indicate that you need to get your eyes checked immediately:

Constant headaches plague you – If you are troubled continuously by your pounding head, it is quite possible that your eye is the culprit. While this issue could be because of exposure to electronic gadgets for too long or working in extremely dim or bright lighting, it could also be a case of vision problems. Changes in vision, which is treated using corrective lenses, actually develop gradually. Visit an eye specialist in Indore to identify the cause and make immediate corrections.

Excessive eye fatigue or even pain – While it is normal for one’s eyes to hurt after an entire night of workload, constant fatigue and indicates the presence of an issue. In many cases, the problem is due to dryness or chronic over-exertion and an eye specialist in Indore will provide you with the necessary treatment or medication. However, the underlying issue could be dangerous like an injury, glaucoma or corneal damage, so do not brush aside these signs.

Eye Infections – Eye infections can escalate and even spread quickly if it is contagious. Some of the symptoms of eye infections include redness, discharge, excessive sensitivity to light, pain, and burning, and blurred vision. The most common eye infection is conjunctivitis. Conjunctivitis or pink eye is identified through extreme redness and discharge from your eye, such that you will not be able to open your eyes in the morning when you wake up due to the sticky material. Your eye specialist in Indore will provide you with the necessary eye drops or even antibiotics depending on your condition.

You see halos or floaters – Floaters are the tiny pieces of dust that you can notice standing out when near a source of light like an open window or the open sky. While it is normal to be seeing a few of them, visit your doctor immediately if there is an increase in floaters in your vision. While it is normal to view an increased number of floaters as you age, a sudden increase could mean retinal damage. Similarly, if you see halos or rings around sources of light, such as light bulbs, it may be an indicator of a case of cataract. Visit an eye specialist in Indore to address these concerns immediately.

Your vision is blurred or you cannot see properly in the night – Though blurry vision could be temporary especially if you have just woken up, been awake for too long or have had certain substances, persistent blurred vision is a warning bell for vision changes. Similarly, inability to see at all in the night indicates that your eye lenses have lost their natural power and that you might need corrective lenses.

cataract surgery in indore

गर्मी में भी करा सकते हैं मोतियाबिंद का ऑपरेशन

कई लोग मोतियाबिंद सर्जरी के लिए सर्दियों के मौसम का चुनाव करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि इस मौसम में सर्जरी कराने से ठीक होने की संभावना ज्यादा होती है.

पुराने समय में यह मान्यता थी की जाड़े का मौसम ही मोतियाबिंद जैसी आंखों की समस्याओं की सर्जरी के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता था जिसके पीछे यह कारण था कि पहले तकनीक उतनी एडवांस नहीं थी और जो भी सर्जरी होती थी उसमें टांके लगते थे जिसकी वजह से पसीना आंखों में जाने से उसमें इंफेक्शन होने का खतरा होता था लेकिन आज टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो गई है कि सर्जरी के बाद किसी भी प्रकार के चीरे या टांके की जरूरत नहीं होती है, इसलिए सर्जरी हर मौसम में कराई जा सकती है इसीलिए किसी भी मौसम के इंतजार में टालें नहीं बल्कि जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर द्वारा बताई गई सर्जरी करा लें.

आंखों की सर्जरी में किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है :

  • आंखों की सर्जरी के लिए किसी अच्छे आईकेयर सेंटर का ही चुनाव करें.
  • सर्जरी डॉक्टर द्वारा बताई गई हर सावधानी का पालन करें.
  • अपनी आंखों को धूप और धुएं से बचाएं.
  • नहाते या चेहरा धोते वक्त इस बात का खास ख्याल रखें की साबुन आंखों में ना जाए.
  • आँखों को ना तो मलें ना ही गंदे हाथो से छुएं .
  • बिना डॉक्टर की सलाह लिए किसी भी प्रकार के आई मेकअप का प्रयोग ना करें.

ये हैं लक्षण

  • बढ़ती उम्र के साथ नजर का कम होते जाना या धुंधलापन बढ़ते जाना।
  • चश्मे का नंबर जल्दी-जल्दी बदलना।
  • दिन के समय कम दिखना व रात या अंधेरे में अधिक दिखना।
  • एक ही वस्तु कई – कई दिखाई देना।

ये हैं कारण

  • वृद्धावस्था : ये मोतियाबिंद सबसे अधिक पाया जाता है। प्राय: 50 साल की उम्र के बाद प्राकृतिक लेंस में धुंधलापन आने लगता है और व्यक्ति को धीरे-धीरे उम्र के साथ-साथ नजर कम पड़ने लगती है।
  • चोट के कारण : आंख में चोट लगने के कारण लेंस धुंधला होने लगता है और मोतियाबिंद हो जाता है।
  • मेटाबोलिक मोतिया: इस प्रकार का मोतिया कुछ शारीरिक बीमारियों के कारण हो जाता है, जैसे मधुमेह और कैल्शियम या फास्फोरस की अधिकता हो जाना।
  • पैदायशी मोतिया: यदि किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान रूबेला संक्रमण जैसी बीमारियों हो जाएं तो नवजात शिशु में मोतियाबिंद होने की आशंका रहती है।
  • डेवलपमेंटल कैटरैक्ट: बच्चे के पैदा होने से लेकर युवावस्था तक इस प्रकार का मोतियाबिंद हो सकता है।

मोतियाबिंद का एकमात्र उपचार ऑपरेशन ही है लेकिन शुरुआती स्टेज में कुछ दवाइयों के प्रयोग से मोतियाबिंद का बढ़ना कुछ कम हो जाता है। जब चश्मे इत्यादि के प्रयोग के बाद भी व्यक्ति की दैनिक दिनचर्या प्रभावित होने लगे तब ऑपरेशन के बारे में सोचना चाहिए। हर मौसम में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया जा सकता है।

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